वजन का गिरना, दो हफ्ते से ज्यादा खांसी- प्रमुख लक्षणों में शामिल
गोरखपुर। अस्थमा, एलर्जी रोग विशेषज्ञ (एमडी चेस्ट) डॉ. नदीम अरशद ने बुधवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि टीबी एक खतरनाक रोग है और यह किसी को भी हो सकता है। दुनिया को टीबी रोग के प्रति सचेत करने के लिए 24 मार्च को विश्व क्षयरोग दिवस मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि भारत में इस बीमारी के फैलने की एक मुख्य वजह इसके प्रति सचेत न रहना है। इस रोग के शुरुआती लक्षणों को दरकिनार कर देना ही आगे चलकर भारी पडऩे लगता है। बताया कि ट्यूबरक्लोसिस एक संक्रामक रोग है। यह बैक्टीरिया से फैलता है। यह बैक्टीरिया शरीर के सभी अंगों में प्रवेश कर सकता है, हालांकि यह ज्यादातर फेफड़ों में ही पाया जाता है। इसके इतर आंतों, हड्डियों, मस्तिष्क, जोड़ों, गुर्दे, त्वचा सहित हृदय भी टीबी से ग्रसित हो सकता है। इस रोग के लक्षणों की बात करें तो दो हफ्ते से ज्यादा खांसी, बुखार का रहना और शाम को बढऩा, छाती में तेज दर्द, अचानक वजन का कम होना, भूख में कमी आना, बलगम के साथ खून आना, फेफड़ों में इंफेक्शन होना, सांस लेने में तकलीफ जैसे कई लक्षण शुमार हैं। डॉ. नदीम अरशद ने कहा कि टीबी रोग से संक्रमित रोगियों के कफ, छींकने, खांसने, थूकने और उनके द्वारा छोड़ी गई सांस से हवा में इसके बैक्टीरिया फैल जाते हैं, जो दूसरे को भी संक्रमित कर सकते हैं। बताया कि इस रोग के रोगी के कपड़ों को छूने या उससे हाथ मिलाने से संक्रमण नहीं होता। डॉ. नदीम ने बताया कि टीबी रोग की जांच के कई तरीके हैं। छाती का एक्सरे, बलगम की जांच, स्किन टेस्ट आदि। सरकार की ओर से इस रोग के जांच की निशुल्क व्यवस्था है। डॉ. नदीम अरशद ने बताया कि यदि दो हफ्ते से अधिक समय से खांसी है तो बिना देर किये डॉक्टर की सलाह लें। बीमार व्यक्ति से दूरी बनाकर रखें। पौष्टिक आहार लें, ऐसा आहार जिसमें विटामिन्स, कैल्शियम, प्रोटीन, मिनरल और फाइबर शामिल हो। डॉ. नदीम अरशद ने बताया कि आज टीबी का मुकम्मल इलाज संभव है। देशभर में डॉटस केंद्र हैं। जहां टीबी के इलाज की निशुल्क व्यवस्था है। कहा कि इन केंद्रों की खासियत यह है कि यहां मरीज को केंद्र पर ही दवाएं खिलाईं जाती हैं, ताकि इलाज में किसी तरह की कोताही न हो। उन्होंने कहा कि यदि हम जागरूक रहेंगे तो मिलकर इस बीमारी से मुकाबला किया जा सकता है। समय से जांच और सही दिशा में दवाओं का चलना मरीज को शीघ्र ठीक सकता है।