प्रदेश मे विवेचको की नहीं चलेगी अब मनमानी: नाम घटाने-बढ़ाने में हुआ खेल तो अधिकारियों की भी होगी जवाबदेही

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DIG हर महीने करेंगे समीक्षा

जानकारी न होने की बात कहकर बचाव नहीं कर सकेंगे अधिकारी

गोरखपुर । विवेचना में नाम और धारा घटाने या फिर बढ़ाने में विवेचक खेल नहीं कर पाएंगे। अब जैसे ही कंप्यूटर में घटाने या बढ़ाने की इंट्री होगी, पुलिस अफसरों को एसएमएस के जरिए इसकी जानकारी मिल जाएगी। सीओ ने अगर आपत्ति नहीं की और बाद में शिकायत में विवेचना में गलती पाई गई तो विवेचक के साथ सीओ की भी जवाबदेही तय करते हुए कार्रवाई होगी।
एसएसपी को हर महीने अपराध गोष्ठी के दौरान इसकी ऐसे केसों (नाम व धारा, बढ़ाए या घटाए गए) हो की समीक्षा करनी होगी। डीआईजी जे. रविंद्र ने बताया कि इसका पालन कराया जाएगा और हर महीने वह भी इसकी माटरिंग और समीक्षा करेंगे। बता दें कई बार गंभीर मामलों में चार्जशीट दाखिल होने के बाद विवेचक की मनमानी सामने आती है। आला अफसरों तक जब तक बात पहुंचती है और पूछताछ होती है तो सीओ रैंक तक के अफसर जानकारी होने से इन्कार कर देते है। ऐसे मामले बढ़ने पर डीजीपी ने विवेचना में गुणवत्ता लाने के लिए नया आदेश जारी कर दिया है। सभी अफसरों की जवाबदेही तय कर दी है, ताकि विवेचक की मनमर्जी न चल पाए और सही व गलत के आधार पर ही विवेचना पूरी की जाए। इससे अब अफसरों को जानकारी होगी ‌और हर महीने की समीक्षा में एसएसपी अलग से पूछेंगे कि आखिर नाम या धारा, बढ़ी या घटी तो इसका आधार क्या है? उम्मीद है इससे मनमानी पर अंकुश लगेगा।

पहले से होता रहा है खेल
आपको बता दे कि इससे पहले भी खेल होता रहा है कुछ दिन पहले एक रामगढ़ थाने की एक महिला ने अपने देवर, सास ससुर व अन्य पर रेप दहेज उत्पीड़न का केस दर्ज कराया था। लेकिन स्थानीय पुलिस ने खेल कर कई का नाम निकल दिया। इसी प्रकार एक पार्षद के मामले मे पुलिस ने मनमानी की। यह सब जांच के दायरे में है