पोषण पुनर्वास केंद्र में मरजीना को सिखाया गया सिर्फ स्तनपान का नुस्खा
एक माह की हिना का वजन 1.990 किलो से बढ़कर 2.445 किलो हुआ
सही जानकारी के अभाव में हिना को नहीं मिल पा रहा था मां का दूध
गोरखपुर।बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) न केवल बच्चों को पोषण बांट रहा है बल्कि सही पोषण का पाठ भी पढ़ा रहा है । चौरीचौरा क्षेत्र के डुमरी खुर्द निवासी एक माह की बच्ची हिना को इसका लाभ मिला और उसे जीने की राह मिल गई । बच्ची को जहाँ पर्याप्त पोषण मिला वहीँ उसकी मां मरजीना को स्तनपान का पाठ भीपढ़ाया गया । सही जानकारी के अभाव में मरजीना अपना दूध बच्ची को नहीं पिला पा रही थीं, लेकिन जब उन्हें तरीका सिखाया गया तो उन्हें दूध बनने लगा और बच्ची को मां का दूध भी पर्याप्त मिलने लगा । मां के दूध और दवा से एक माह की हिना का वजन 1.990 किलो से बढ़कर 2.445 किलो हो गया है ।
हिना की मां मरजीना (30) ने बताया कि कि हिना उनकी पहली बच्ची है। प्रसव के बाद उन्हें दूध नहीं उतर रहा था इसलिए हिना को ऊपर का दूध दे रही थीं । हिना की तबीयत बिगड़ने लगी। वह अक्सर बीमार रहती थी और वजन भी नहीं बढ़ रहा था । गांव की आशा कार्यकर्ता की सलाह पर उन्होंने सरदारनगर स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक डॉ हरिओम पांडेय को दिखाया । डॉ पांडेय ने बताया कि बच्ची अति कुपोषित थी इसलिए उसे राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) टीम के पास भेजा। टीम के चिकित्सक डॉ अरूण और डॉ हर्ष व उनकी टीम ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज के एनआरसी में छह अगस्त को बच्ची को भर्ती करा दिया ।
बीआरडी मेडिकल कॉलेज की बाल रोग विभाग की अध्यक्ष डॉ अनिता मेहता बताती हैं कि जब हिना अस्पताल आई और उसके बारे में जानकारी ली गयी तो पता चला कि वह मां का दूध नहीं पीती है। मां ने बताया कि उन्हें दूध ही नहीं बनता है । डॉ अजीत यादव एवम डॉ सुरेश नारायण द्वारा हिना का इलाज किया गया।आहार परामर्शदाता (डायटिशियन) पद्मिनी व स्टॉफ की टीम ने उन्हें स्तनपान का सही तरीका बताया और सिखाया गया कि स्तनपान के दौरान निप्पल के किनारे के एरिओला(काला हिस्सा) को भी बच्चे के मुंह में रखना चाहिए। ऐसा करने से स्तन में दूध आसानी से आने लगता है और निप्पल के कटने की भी आशंका कम रहती है । ऐसा करने के बाद हिना की मां को दूध आने लगा । मरजीना को यह भी बताया गया कि हर दो घंटे में बच्ची को दूध पिलाना है और छह माह तक सिर्फ स्तनपान करवाना है। जब हिना को मां का दूध मिलने लगा तो उसकी सेहत में सुधार हुआ । हिना को आवश्यक दवाइयां दी गयीं और उनकी मां मरजीना को भी डायटिशियन की देखरेख में दाल, रोटी, दूध, अंडा आदि दिये गये ताकि वह भी सुपोषित रहें ।
संतुष्ट हैं मरजीना
हिना की मां मरजीना का कहना है कि उनकी बेटी पहले की तुलना में काफी स्वस्थ है। फॉलो अप के लिए पुनः बुलाया गया है । अब वह बच्चे को नियमित स्तनपान करवा पा रही हैं । उन्हें उम्मीद है कि बच्ची पूरी तरह से ठीक हो जाएगी और स्वस्थ जीवन जी सकेगी।
426 बच्चे हुए सुपोषित
डॉ अनिता मेहता बताती हैं कि अप्रैल 2020 से लेकर जुलाई 2022 तक 426 बच्चे एनआरसी से सुपोषित होकर निकले हैं । केंद्र में न केवल बच्चों को सुपोषित बनाया जाता है बल्किउनका इलाज भी किया जाता है और उनके अभिभावकों को बच्चों को सुपोषित रखने का तरीका भी सिखाया जाता है। उन्हें बताया जाता है कि जन्म से छह माह तक सिर्फ स्तनपान कराना है और छह माह से दो साल की उम्र तक स्तनपान के साथ-साथ पूरक आहार भी देना है । एनआरसी में भर्ती बच्चों के एक अभिभावक को निःशुल्क भोजन और 100 रुपये प्रतिदिन की दर से श्रम ह्रास के लिए पैसे दिये जाते हैं । यह पैसे प्राप्त करने के लिए लाभार्थी का बैंक में खाता होना आवश्यक है और खाते की केवाईसी भी होनी जरूरी है ।