पूर्वांचल की वायरल वाली बीमारियों पर होगा रिसर्च

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महायोगी गोरखनाथ विवि ने आईसीएमआर-आरएमआरसी के साथ मिलाया हाथ

गोरखपुर। पूर्वी उत्तर प्रदेश से लेकर पश्चिमी बिहार और नेपाल की तराई तक फैली विषाणु जनित बीमारियों को खत्म करने के लिए एक नई पहल शुरू की गई है। इसके लिए दो ख्यातिलब्ध संस्थानों के बीच गुरुवार को बड़ा और महत्वपूर्ण करार हुआ।
वायरस से होने वाले रोगों के वास्तविक कारणों का पता लगाने और इन बीमारियों का निदान खोजने के लिए शोध, अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए गोरखपुर के महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की क्षेत्रीय इकाई रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर के साथ हाथ मिलाया है। दोनों संस्थानों के बीच गुरुवार को एमओयू का आदान- प्रदान हुआ। रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर के निदेशक डॉ रजनीकांत और महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डॉ अतुल वाजपेयी ने हस्ताक्षर किए। दरअसल, पूर्वी उत्तर प्रदेश, नेपाल की तराई और पश्चिमी बिहार की करोडों की आबादी दशकों से वायरल वाली बीमारियों से जूझती रही है। इंसेफेलाइटिस, डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों यहां लंबे समय से फली हैं।
हालांकि, 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद से किए गए समग्र सरकारी प्रयासों से इन बीमारियों का प्रभाव काफी हद तक नियंत्रण में है। खासकर सर्वाधिक कहर बरपाने वाली इंसेफेलाइटिस से होने वाली मौतों पर 95 फीसद से अधिक नियंत्रण पा लिया गया है। लेकिन इस पर पूरी तरह से अंकुश लगाने के लिए सीएम योगी के प्रयासों पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गोरखपुर में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की गोरखपुर में इकाई (रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर) स्थापित की है। इस सेंटर की स्थापना के बाद अब गंभीर बीमारियों के लिए मरीजों के नमूनों का परीक्षण और विश्लेषण अब गोरखपुर में ही होने लगा है।
लेप्टोस्पायरोसिस बीमारी पर भी किया था रिसर्च
उधर, अपनी स्थापना के एक साल के भीतर ही महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय ने भी पूर्वी उत्तर प्रदेश की बीमारियों का मूल तलाशने को अपने स्तर पर अनुसंधान शुरू कर दिया है। पिछले दिनों गुरु श्री गोरक्षनाथ चिकित्सालय में भर्ती मरीजों पर केस स्टडी करते हुए इस विश्वविद्यालय ने लेप्टोस्पायरोसिस नामक बीमारी का पता लगाया।
विश्वविद्यालय के अनुसंधान में पता चला था कि घातक बुखार के लक्षण वाली लेप्टोस्पायरोसिस बीमारी चूहों के यूरीन से फैलती है। इस आपसी समझौते से उच्च शिक्षा, रिसर्च, फैकल्टी के आदान प्रदान से दोनों संस्थाएं लाभान्वित होंगी। उच्च डिग्री, अनुसंधान, व्याख्यान, प्रशिक्षण और चर्चा के लिए संकाय छात्र, शोधकर्ता का आदान-प्रदान, अध्ययन क्षमता निर्माण कार्यक्रम, स्नातक, स्नातकोत्तर, थीसिस और शोध प्रबंधों के पर्यवेक्षण के लिए संकाय सदस्यों के बीच सहयोग, संयुक्त पाठ्यक्रमों, प्रशिक्षण कार्यक्रमों, कार्यशालाओं, सम्मेलनों, संगोष्ठियों और वेबिनार का आयोजन, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में अनुसंधान और प्रकाशन, दोनों संस्थानों में संकाय सदस्यों शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों के बीच सहयोग आदि इस एमओयू का हिस्सा है।