मुलायम के दर्शन के लिए लाखों लोग उमड़े: पत्नी मालती के मेमोरियल के करीब होगा अंतिम संस्कार, श्रद्धांजलि के लिए कन्नौज से लाए गए फूल

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लखनऊ। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का मंगलवार को सैफई में अंतिम संस्कार होगा। नेताजी के अंतिम दर्शन के लिए एक लाख से ज्यादा लोग पहुंचे हैं। अभी उनकी पार्थिव देह को आखिरी विदाई के लिए यहां के मेला ग्राउंड ले जाया गया है। दोपहर 3 बजे तक यहां आम लोग दर्शन कर सकेंगे। इसके बाद नेताजी का अंतिम संस्कार होगा।
मुलायम के अंतिम संस्कार के लिए सैफई में बारिश के बीच प्लेटफॉर्म बनाया। रातोंरात इस प्लेटफॉर्म को बनाने के लिए लोगों और मशीनों ने लगातार काम किया। 50 मजदूर रातभर लगे रहे। मुलायम की पत्नी मालती देवी के मेमोरियल के करीब ही 3 फीट ऊंचा प्लेटफॉर्म बनाया गया है। 30&30 फीट की इस जगह में 10 हजार ईंटें लगाई गई हैं। मालती देवी की 2003 में मृत्यु हो गई थी। मेलाग्राउंड में ही 5 साल पहले तक सैफई महोत्सव होता था। कन्नौज के फूलों से दी जा रही श्रद्धांजलि सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार चंदन की लकडिय़ों से किया जाएगा। कन्नौज के फूलों से उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है। इत्र नगरी से लकडिय़ों और फूलों की खेप लेकर सपा नेता सैफई पहुंच गए हैं।
राजनाथ, ममता, चंद्रबाबू, गहलोत मौजूद रहेंगे आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू, भाजपा सांसद रीता बहुगुणा जोशी और अन्य नेताओं ने अंतिम श्रद्धांजलि दी। भारत जोड़ो यात्रा बीच में छोड़ कर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी सैफई पहुंच सकते हैं। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, पश्चिम बंगाल की ष्टरू ममता बनर्जी, बिहार के डिप्टी ष्टरू तेजस्वी यादव, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत, ​सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर, छ्वष्ठ नेता केसी त्यागी और क्क कांग्रेस अध्यक्ष बृजलाल खाबरी भी अंतिम संस्कार में शामिल होंगे। मेलाग्राउंड में लाखों मुलायम समर्थक मौजूद हैं। नारेबाजी हो रही है- जब तक सूरज-चांद रहेगा, नेताजी का नाम रहेगा।
घर के बाहर रात से सुबह तक जमा रहे हजारों कार्यकर्ता
ेताजी के अंतिम दर्शन के लिए शाम से ही लोग सैफई पहुंचने लगे थे। पार्टी के कार्यकर्ताओं ने कहा कि देर रात करीब 5 हजार लोग उनके घर के बाहर थे। लोगों ने जब तक सूरज-चांद रहेगा, नेताजी का नाम रहेगा नारे लगाए। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सोमवार शाम ही सैफई पहुंचे और नेताजी को श्रद्धांजलि दी।
गुरुग्राम में सोमवार सुबह हुआ था निधन
मुलायम सिंह यादव ने सोमवार सुबह 8 बजकर 16 मिनट पर गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली। 82 साल के
मुलायम सिंह करीब 2 साल से ब्लड प्रेशर और यूरिन इन्फेक्शन जैसी बीमारियों से जूझ रहे थे। मुलायम सिंह यादव 2 साल से बीमार चल रहे थे। अखिलेश यादव ने सोमवार को पिता मुलायम को मेदांता में अंतिम प्रणाम किया।
यह फोटो आजम खान और उनके बेटे अब्दुला की है। सोमवार देर रात दोनों ने मुलायम को श्रद्वांजलि दी।
पीएम मोदी बोले- 2014 में उन्होंने आशीर्वाद दिया था, वो मेरी अमानत पीएम नरेंद्र मोदी सोमवार को गुजरात के भरुच में जनसभा कर रहे थे। यहां भी उन्होंने सबसे पहले मुलायम सिंह यादव को याद किया। कहा, मुलायमजी का जाना देश के लिए बहुत बड़ी क्षति है। मेरा मुलायमजी के साथ नाता विशेष प्रकार का रहा। हम दोनों मुख्यमंत्री के तौर पर मिला करते थे, वे भी और मैं भी दोनों के प्रति एक अपनत्व का भाव अनुभव करते थे। 2014 में जब भाजपा ने मुझे प्रधानमंत्री पद के लिए चुना तो मैंने विपक्ष में अपने परिचित लोगों को फोन करके आशीर्वाद लिया था। उस दिन मुलायमजी का वह आशीर्वाद, सलाह के दो शब्द आज भी मेरी अमानत हैं। दोस्त की चप्पल देख मुलायम ने उसे बनाया था मंत्री
मुलायम दोस्ती में वह इतने भावुक थे कि एक बार उनका दोस्त हवाई चप्पल में पहुंचा, तो उसे राज्य मंत्री बना दिया था। वहीं, उनके साथ पढऩे वाले बताते हैं कि मुलायम ने पढ़ाई के दौरान कभी अपने नोट्स नहीं बनाए। राजनीति में एंट्री करने से पहले मुलायम कुश्ती लड़ते थे। एग्जाम छोडक़र कुश्ती लडऩे चले जाते थे। 1960 में जब मुलायम कॉलेज में पढ़ते थे, तब कवि सम्मेलन के मंच पर दरोगा को एक युवा ने चित कर दिया। 22 नवंबर 1939 को सैफई में जन्मे मुलायम सिंह यादव की पढ़ाई-लिखाई इटावा, फतेहाबाद और आगरा में हुई। मुलायम कुछ दिन तक मैनपुरी के करहल में जैन इंटर कॉलेज में प्राध्यापक भी रहे। पांच भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर मुलायम सिंह की दो शादियां हुईं। पहली पत्नी मालती देवी का निधन मई 2003 में हो गया था। अखि‍लेश यादव मुलायम की पहली पत्नी के ही बेटे हैं। मुलायम सिंह यादव ने जीवन में कई तरह की मुश्किलें देखीं। वह कई दलों में शामिल रहे और बड़े नेताओं की शागिर्दी भी की इसके बाद उन्होंने अपना दल बनाया और एक-दो बार नहीं बल्कि यूपी में तीन बार सत्ता संभाली। यूपी की राजनीति जिस धर्म और जाति की प्रयोगशाला से होकर गुजरी उसके एक कर्ताधर्ता मुलायम सिंह भी रहे।