व्रतियों ने दिया अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य

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अस्त होते सूर्य की आरती कर सुख समृद्धि की कामना की

छठ की छटा देखने को नदी नालों एवं तालाबों के किनारे बने घाटों पर उमड़ी भीड़

खजनी। छठमहापर्व पर रविवार को क्षेत्र के भीटी खोरिया, भरोहिया, जमुरा नाला, सरया तिवारी, नगर पंचायत कस्बा संग्रामपुर उनवल, बिशनपुरा, दुघरा, सतुआभार, बिहारी बुजुर्ग, बसियाखोर, डोड़ो, खजूरी, सिसवा, सोनबरसा, कटया, बड़हरा समेत दर्ज़नों गांवों के नदी, नालों और सरोवरों के किनारे बने घाट पर व्रत धारियों ने अस्ताचलगामी भगवान भाष्कर की आराधना कर अपने एवं परिवार की खुशहाली की कामना करते हुए कमर तक पानी में जाकर सूर्य को अ‌र्घ्य दिया।

शाम चार बजे के बाद आस्था का पर्व छठ की छटा देखने को हजारों लोग उमड़ पड़े। घाटों पर सुरक्षा व्यवस्था के भी पुख्ता इंतजाम किए गए थे। चप्पे-चप्पे पर पुलिसकर्मियों की ओर से निगरानी की जा रही थी। क्षेत्राधिकारी अनिल कुमार सिंह को क्षेत्र के घाटों पर भ्रमण करते देखे गये।


घाट पर हर तरफ छठ मैया के गीत गूंज रहे थे। लोग ढोल-नगाड़े की थाप पर नृत्य कर रहे थे। समिति की ओर से महाछठ पूजा के अवसर पर कहीं-कहीं छठ माता की घाटों के किनारे प्रतिमा स्थापित की गई थी।

ऐसे हुई पूजा : इसअवसर पर व्रतधारियों ने लोटे में दूध या गंगाजल मिले जल से सूर्य छठी मइया काे अर्घ्य दिया गया, पांच से सात बार प्रदक्षिणा भी की। इसके उपरांत बांस से बने सूप में ठेकुआ, सेव, केला, संतरा, नारियल, पताशा, सिंघाड़ा, हल्दी, अदरक, मूली, गन्ना कचवनिया को सजा कर दीपक जला कर अस्त होते सूर्य की आरती कर सुख समृद्धि की कामना की।

आवाहे छठ माई आवा हे छठ माई

कार्यक्रमके दौरान छठ घाट छठ माता के गीतों से गूंज उठा। इस दौरान जल्दी-जल्दी ऊग हे सूरुज देव…, कइलीं बरतिया तोहार हे छठ मइया…, कवने दिन उगी छई हे दीनानाथ…आवा हे छठ माई आवा हे छठ माई सरीखे गीत ध्वनि विस्तारक यंत्र से सुनाई दे रहे थे।