गांधीनगर (गुजरात)। मोरबी पुल हादसे में मृतकों की संख्या सोमवार सुबह 190 पहुंच गई। इनमें 25 बच्चे हैं। मृतकों में महिलाओं और बुजुर्गों की संख्या भी ज्यादा है। 170 लोग रेस्क्यू किए गए हैं। हादसा रविवार शाम 6.30 बजे तब हुआ, जब 765 फीट लंबा और महज 4.5 फीट चौड़ा केबल सस्पेंशन ब्रिज टूट गया। 143 साल पुराना पुल ब्रिटिश शासन काल में बनाया गया था। यह पुल पिछले 6 महीने से बंद था। कुछ दिन पहले ही इसकी मरम्मत की गई थी। हादसे से 5 दिन पहले 25 अक्टूबर को यह ब्रिज आम लोगों के लिए खोला गया। रविवार को यहां भीड़ क्षमता से ज्यादा हो गई। हादसे की भी यही वजह बताई जा रही है। हादसे का 30 सेकंड का वीडियो भी सामने आया है। इसमें 15 सेकेंड के बाद पुल टूट गया और लोग मच्छू नदी में समा गए। वीडियो देखने के लिए आप ऊपर लगी फोटो पर क्लिक कर सकते हैं।
1. मोरबी हादसे में मारे गए लोगों का पोस्टमॉर्टम नहीं किया जाएगा।
2. राजकोट के भाजपा सांसद के परिवार के 12 लोग हादसे में मारे गए।
3. अफसर ने आशंका जताई है कि पुल के नीचे शव फंसे हो सकते हैं।
4. हेल्पलाइन नंबर 02822243300) जारी। मोरबी और राजकोट हॉस्पिटल में इमरजेंसी वार्ड बना।
सोमवार सुबह सामने आई ये तस्वीर मोरबी जिला अस्पताल की है। यहां हादसे में मारे गए लोगों की बॉडीज रखी गई हैं। शवों से अस्पताल का पूरा गलियारा पट गया है।
अफसर बोले- 100 की क्षमता थी, 500 लोग जमा हुए… हादसे की यही वजह
बनने के बाद से पुल का कई बार रेनोवेशन किया जा चुका है। हाल ही में दिवाली से पहले इसके मरम्मत का काम 2 करोड़ की लागत से किया गया था। भास्कर को मोरबी के भाजपा सांसद मोहन कुंडारिया ने बताया कि ब्रिज टूटने से जहां लोग गिरे, वहां 15 फीट तक पानी था। कुछ लोग तैरकर बाहर निकल आए, लेकिन कई लोग झूले पर अटके रहे।
सडक़ एवं भवन विभाग मंत्री जगदीश पांचाल ने कहा कि यह पुल नगर निगम के दायरे में आता है। निगम के अधिकारियों ने बताया कि ब्रिज की क्षमता 100 लोगों की है, लेकिन रविवार की छुट्टी होने के चलते हादसे के वक्त ब्रिज पर 400 से 500 लोग जमा थे। इसी के चलते ब्रिज बीच से टूट गया।
1. रेस्क्यू
रात में ही एसडीआरएफ, आर्मी और वायुसेना की टीमें पहुंच गई थीं। इनके अलावा जामनगर यानी 100 किमी. दूर से वायुसेना के 50 गरुड़ कमांडो भी पहुंचे। सोमवार सुबह अफसरों ने बताया कि कुछ शव पुल के नीचे फंसे हो सकते हैं। मटमैले पानी की वजह से लोगों को ढूंढने में दिक्कत आ रही है। रेस्क्यू बोट्स, तैराक, गोताखोर के अलावा दर्जनभर टीमें ऑपरेशन में जुटी हैं।
राज्य और केंद्र सरकार दोनों ने हादसे के प्रभावितों को मदद का ऐलान किया है। केंद्र मृतकों के आश्रितों को दो लाख और घायलों को 50 हजार रुपए देगा। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि मृतकों के आश्रितों को 4 लाख और घायलों को 50 हजार दिए जाएंगे।
ब्रिज के मेंटेनेंस की जिम्मेदारी ओरेवा ग्रुप के पास है। इस ग्रुप ने मार्च 2022 से मार्च 2037 यानी 15 साल के लिए मोरबी नगर पालिका के साथ एक समझौता किया है। ग्रुप के पास ब्रिज की सुरक्षा, सफाई, रखरखाव, टोल वसूलने, स्टाफ का प्रबंधन है। इस कंपनी पर गैरइरादतन हत्या का केस दर्ज किया गया है। कमेटी बनाई गई है, जो हादसे की जांच कर जल्द से जल्द रिपोर्ट सौंपेगी।
उधर कांग्रेस ने कहा कि चुनाव की जल्दबाजी में भाजपा ने पुल को लोगों के लिए जल्दी खोल दिया। खुलने के 5 दिन बाद ही पुल कैसे ढह गया। इसकी जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अगुआई में जांच कमेटी बनानी चाहिए।
143 साल से भी ज्यादा पुराना है ब्रिज, मोरबी के राजा यहीं से दरबार जाते थे
मोरबी का यह सस्पेंशन ब्रिज 143 साल पुराना है और इसकी लंबाई करीब 765 फीट है। यह सस्पेंशन ब्रिज गुजरात के मोरबी ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए ऐतिहासिक धरोहर है। इस ब्रिज का उद्घाटन 20 फरवरी 1879 को मुंबई के गवर्नर रिचर्ड टेम्पल ने किया था। यह उस समय लगभग 3.5 लाख की लागत से बनकर तैयार हुआ था। पुल बनाने का पूरा सामान इंग्लैंड से ही मंगाया गया था। ब्रिज का निर्माण मोरबी के राजा प्रजावत्स्ल सर वाघजी ठाकोर की रियासत के दौरान हुआ था। उस समय राजा राजमहल से राज दरबार तक जाने के लिए इसी पुल का इस्तेमाल करते थे। राजशाही खत्म होने के बाद इस पुल की जिम्मेदारी मोरबी नगर पालिका को सौंप दी गई थी। लकड़ी और तारों से बना यह पुल 233 मीटर लंबा और 4.6 फीट चौड़ा है।