पूर्णिया/पटना। पहले कहा दुष्कर्म किया, फिर कहा दुष्कर्म नहीं हुआ। बहकावे में आकार केस कर दिया। ऐसा कहकर पीडि़ता का खुद के बयान से मुकरना कोर्ट को नागवार लगा। कोर्ट ने फैसला सुनाया कि न्यायालय का कीमती वक्त बर्बाद करने एवं सरकारी संसाधनों का दुरूपयोग करने को लेकर पीडि़ता और उसकी मां पर मुकदमा चलेगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे ही पक्षकारों के कारण वास्तविक न्याय पाने वालों न्याय मिलने में देरी होती है और न्यायालय झूठे मुकदमों के बोझ तले दबी रहती है। ऐसे झूठे शिकायतकर्ता को सबक सिखाना भी न्यायपालिका दायित्व है। इस कड़ी टिप्पणी के बाद कोर्ट ने रेप केस की तथाकथित पीडि़ता और सूचिका बनी उसकी मां के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज करने का निर्देश जारी किया। वहीं मामले के आरोपित युवक को साक्ष्य के आभाव में बाइज्जत बरी कर दिया। झूठी गवाही को लेकर यह सख्ती पॉक्सो कोर्ट के विशेष न्यायाधीश प्रशांत कुमार झा ने बरती है। उन्होंने पारित आदेश में कहा कि इस झूठे मुकदमे की वजह से आरोपी युवक को एक साल ढाई महीने तक जेल में रहना पड़ा। यह पॉक्सो अधिनियम जैसे कड़े प्रावधान का दुरूपयोग है। इसी अधिनियम में ऐसे झूठे शिकायतकर्ता के लिए सजा का भी प्रावधान भी है। जिले के रूपौली थाना में 16.03.2019 को कांड सं. 32/19 दर्ज हुआ। इसमें नाबालिग पीडि़ता की मां ने कहा कि उसकी बेटी रात आठ बजे शौच के लिए गई तो लौटकर घर वापस नहीं आयी। खोजबीन में पता चला कि आरोपित युवक अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर बहला-फुसलाकर शादी की नियत से उसका अपहरण कर लिया। मामला दर्ज होने के बाद पुलिस ने आरोपित युवक के खिलाफ अपहरण, दुष्कर्म एवं पॉक्सो एक्ट के तहत चार्जशीट दाखिल किया।
आरोप गठन होने के बाद मुकदमें का ट्रायल शुरू हुआ। इस दौरान पीडि़ता, उसकी मां, डॉक्टर एवं अनुसंधानकर्ता समेत सात लोगों की गवाही कलमबंद की गई। इसमें पीडि़ता की मां ने कहा कि उसने लोगों के बहकावे में आकर केस कर दिया। वह आरोपित युवक को पहचनाती भी नहीं है। वहीं पीडि़ता ने कहा कि वह शौच के बाद खाला के घर चली गई। पुलिस ने जो कहा वही 164 में बयान दिया। उसका ना कोई मेडिकल जांच हुआ और ना कभी पुलिस ने बयान लिया।