पटना (बिहार)। प्रेम, त्याग और समर्पण का दिन यानी वैलेंटाइन डे आज बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है। आज के दिन युवाओं में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। वे अपने चाहनेवालों से प्यार का इजहार कर रहे हैं। ऐसे में राजनीतिक हस्तियों की प्रेम कहानी की चर्चा भी लाजिमी है। बिहार के कई राजनेताओं ने जाति-धर्म की दीवार को तोडक़र अपने वैलेंटाइन को अपनाया है। उनका कहना है कि हमारा तो हर दिन वैलेंटाइन डे है। इसमें सबसे पहले बात प्यार के बंधन में नए-नए बंधे बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की करेंगे।
तेजस्वी ने रेचल के साथ लिए सात फेरे: तेजस्वी ने अपनी स्कूल फे्र ंड रेचल गोडिन्हो के साथ दिल्ली में सात फेरे लिए। रेचल का नाम ससुर लालू प्रसाद ने राजश्री रख दिया। डीपीएस में पढऩे के दौरान ही तेजस्वी और रेचल की नजदीकी बढ़ी थी। समय के साथ दोनों एक-दूसरे के करीब आते गए। इसके बाद नेता प्रतिपक्ष ने जाति और धर्म की दीवार लांघकर रेचल को अपनी दुल्हनियां बना लिया। ससुराल आकर एक भारतीय नारी की तरह परिधान, व्यवहार अपनाने वाली रेचल को देखकर लगता ही नहीं कि वे काफी आधुनिक माहौल में पली-बढ़ी हैं। शादी के बाद यह उनका पहला वैलेंटाइन डे है। कुछ दिनों पूर्व रेचल ने बताया कि तेजस्वी को पहले उन्होंने ही प्रोपोज किया था।
शाहनवाज हुसैन और रेणु हैं आदर्श दंपती के उदाहरण: बिहार के उद्योग मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन ने भी लव मैरेज की है। वह भी इंटरकास्ट और इंटररिलीजन। आज उनकी शादी सफल दांपत्य जीवन का उदाहरण है। दिल्ली की एक हिंदू लडक़ी को शाहनवाज हुसैन ने लाइफ पार्टनर बनाया है। हालांकि, शादी से पहले शाहनवाज हुसैन को आम प्रेमियों की तरह चक्?कर लगाने पड़े थे। शाहनवाज हुसैन दिल्ली से ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहे थे। बात करीब साढ़े तीन दशक पहले यानी 1986 की है। डीटीसी की बस में सफर के दौरान उनकी नजर एक लडक़ी पर पड़ी। पहल ही नजर में वे फिदा हो गए। फिर धीरे-धीरे उस लडक़ी से बातचीत शुरू हुई। इसके बाद तमाम परेशानियां आईं। लेकिन सच्चे प्यार जीत हुई। शाहनवाज हुसैन और रेणु ने एक-दूसरे से शादी कर ली।
जाप सुप्रीमो पप्पू यादव ने पार की थी दीवानगी की हद: बाहुबली नेता रहे पूर्व सांसद पप्पू यादव और उनकी पत्नी रंजीत रंजन की प्रेम कहानी पूरी फिल्मी है। पप्पू यादव को प्यार तब हुआ जब वे मर्डर केस में सजा काट रहे थे। टेनिस खेलती रंजीत की झलक पाने के लिए वे कोर्ट पहुंच जाते थे। यह बात रंजीत को पसंद नहीं थी। पप्पू यादव को फटकार भी लगाई। लेकिन पप्पू यादव मानने वाले कहां थे। धीरे-धीरे उन्होंने सिख युवती के दिल में घर बना लिया। लेकिन रंजीत के परिवार वाले अड़चन बने थे। लेकिन धीरे-धीरे वे भी मान गए। पप्पू यादव ने अपनी किताब में लिखा है कि एक बार हताश-निराश होकर उन्होंने जान देने की कोशिश की। नींद की गोलियां खा ली थी।