अब तक 300 नवजात बच्चों का मुफ्त इलाज कर पैर को किया सीधा
गोरखपुर। गोरखपुर मंडल कई जिलों जैसे देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज सहित पूरे प्रदेश में इस समय नवजात बच्चों के पैर जन्म से ही टेढ़े हो रहे हैं। इससे माता-पिता की खुशियों पर ग्रहण लग रहा है। मगर, प्रदेश सरकार की पहल पर उन नवजातों का जिला अस्पताल में मुफ्त में इलाज किया जा रहा है। एक बच्चे के टेढ़े पैर पर कम से कम पांच से छह बार प्लास्टर किया जा रहा है। इसके बाद बच्चों का ऑपरेशन किया जा रहा है और फिर एक विशेष प्रकार का जूता दिया जा रहा है। जिसके बाद 5 से 6 महीने में बच्चे का पैर सीधा हो रहा है। छोटी सी उम्र में ही बच्चों को इस तरह की तकलीफ से गुजरते हुए देखकर माता-पिता बहुत परेशान हो रहे हैं। इस काम में मिरैकल फीट इंडिया नामक एक संस्था भी सरकार का सहयोग कर रही है। संस्था के लोग ऐसे बच्चे को चिह्नित करते हैं और उनकी सूची तैयार करते हैं। फिर जिला अस्पताल से संपर्क कराकर उनका इलाज सुनिश्चित कराते हैं। इस संस्था ने गोरखपुर मंडल के चारों जिलों में अब तक करीब 600 से ज्यादा बच्चों का इलाज कराया और उनके माता-पिता को खुशियां प्रदान की हैं।
यहां बतादें कि गोरखपुर में पिछले छह माह में अब तक 300 बच्चों का इलाज किया गया है। जिला अस्पताल के आर्थो विभाग के तीन चिकित्सक डॉ. राजेश कुमार सिंह, डॉ. प्रमोद त्रिपाठी और डॉ. विजय प्रताप सिंह इन नवजात बच्चों का इलाज करते हैं। हर बुधवार को आर्थो विभाग के आपरेशन थियेटर में बच्चों के पैर का प्लास्टर और आपरेशन किया जाता है। अब तक अकेले गोरखपुर जिला अस्पताल में ही लगभग 300 नवजात बच्चों के पैर को सीधा किया जा चुका है।
जेनेटिक है यह बीमारी: नवजात बच्चों का इलाज करने वाले जिला अस्पताल के आर्थो के चिकित्सक डॉ. राजेश कुमार सिंह बताते हैं कि यह जेनेटिक है। जीन में गड़बड़ी की वजह से मां के गर्भ में स्पेस कम हो जाता है और पैदा होने के बाद नवजात बच्चे का पैर टेढ़ा हो जा रहा है। उन्होंने बताया कि अब तक जिला अस्पताल में करीब 300 बच्चों का इलाज हो चुका है।
हर बुधवार को ऐसे बच्चों की लाइन लगी रहती है। अभी पिछले बुधवार को ही गोरखपुर जिला अस्पताल में मिरैकल फीट इंडिया की प्रोग्राम एक्जीक्यूटिव कोमल केसरी के प्रयास से चार बच्चों का प्लास्टर किया गया। कोमल खुद अब तक 30 बच्चों का इलाज करा चुकी हैं। गोरखपुर के जंगल कौडिय़ा के कुड़वा गांव के मनोज कुमार की मां गांव की प्रधान रह चुकी हैं। वहीं, मनोज प्रधान प्रतिनिधि रह चुके हैं। पांच मार्च 2022 को जंगल कौडिय़ा स्थित पीएचसी पर उनकी पत्नी ने बच्चे को जन्म दिया। जन्म से बच्चे का पैर टेढ़ा था। माता-पिता दोनों चिंतित हो गए। उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा था। दोनों ने वैष्णो माता से मन्नत तक मांग ली। फिर मिरैकल फीट इंडिया के कोमल से उनकी मुलाकात हुई, जिसके बाद जिला अस्पताल के डॉ. राजेश कुमार सिंह ने इलाज शुरू किया।