चिटहेरा जमीन घोटाले में शामिल कई अफसरों के रिश्तेदार: उत्तराखंड सीएम सचिव के ससुर, एमडीडीए वीसी के पिता और डीआईजी की मां ने खरीदी पट्टे की 43 जमीनें

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गाजियाबाद। ग्रेटर नोएडा के गांव चिटहेरा में हुए अरबों रुपए के भूमि घोटाले के तार उत्तराखंड मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंच गए हैं। एफआईआर में दो आईएएस और एक आईपीएस ऑफिसर के रिश्तेदार को आरोपी बनाया गया है। आरोप है कि चिटहेरा गांव के 43 किसानों की वो जमीन जबरन खरीद ली गई जो उन्हें सरकार से पट्टे पर साल-1997 में मुफ्त में मिली थी। इस केस में मुख्य आरोपी भूमाफिया यशपाल तोमर फिलहाल उत्तराखंड की जेल में बंद है, जबकि बाकी अन्य आरोपियों के नाम पर जांच जारी है।
दादरी थाने में दो एफआईआर, 9 लोग नामजद
चिटहेरा में हुए जमीन घोटाले में 2 एफआईआर ग्रेटर नोएडा के दादरी पुलिस स्टेशन में 20 और 22 मई 2022 को कराई गई हैं। पहली एफआईआर लेखपाल शीतला प्रसाद और दूसरी एफआईआर राजस्व निरीक्षक पंकज निर्वाल ने कराई है। इसमें 9 लोगों यशपाल तोमर निवासी बागपत, त्रिदेव प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के नरेंद्र कुमार निवासी नई दिल्ली, कर्मवीर निवासी चिटहैरा, बैलू निवासी चिटहैरा, कृष्णपाल निवासी चिटहैरा, एम भासकरन निवासी चेन्नई, केएम संत उर्फ खचरेमल निवासी अलीगढ़, गिरीश वर्मा निवासी अकबरपुर दादरी और सरस्वती देवी निवासी पटना बिहार को नामजद किया गया है। इन सभी को आईपीसी सेक्शन 420, 467, 468, 471, 506 का आरोपी बनाया गया है। यहां बतादें कि एम भास्करन: ये उत्तराखंड कैडर के 2006 बैच के आईएएस ऑफिसर मीनाक्षी आर सुंदरम के ससुर हैं। मीनाक्षी आर सुंदरम फिलहाल उत्तराखंड सीएम पुष्कर सिंह धामी के सचिव हैं। ये चेन्नई के मूल निवासी हैं।
केएम संत: ये यूपी कैडर के आईएएस ऑफिसर रहे हैं और साल-2000 में रिटायर हो चुके हैं। रिटायर होने के बाद केएम संत उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस ट्रिब्यूनल के मेंबर भी रह चुके हैं। इनके बेटे बृजेश संत उत्तराखंड कैडर के आईएएस ऑफिसर हैं। फिलहाल वे मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष हैं।
सरस्वती देवी: सरस्वती देवी बिहार की गया लोकसभा सीट से कांग्रेस के सांसद रहे रामस्वरूप राम की पत्नी हैं। रामस्वरूप का साल-2009 में निधन हो चुका है। इनके बेटे राजीव स्वरूप उत्तराखंड कैडर में 2006 बैच के आईपीएस ऑफिसर हैं और फिलहाल डीआईजी पोस्ट पर तैनात हैं।
यशपाल तोमर: यह बागपत जिले में बरवाला थाना क्षेत्र रमाला गांव का रहने वाला है। पेशे से किसान यशपाल ने साल-2000 में चोरी की कार के फर्जी दस्तावेज बनवाने शुरू किए। इस धंधे उसे खूब मुनाफा हुआ। धीरे-धीरे जमीन के फर्जी कागज बनवाकर कब्जे करने लगा। इस तरह वह भूमाफिया बन गया। करोड़ों की जमीन कब्जाने लगा तो कई अफसरों को पार्टनर बना लिया। यशपाल पर 25 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं। कई राज्यों में अरबों रुपए की संपत्ति है।
कर्मवीर, बैलू, कृष्णपाल: ये तीनों मूलत: यूपी में बागपत जिले के रहने वाले हैं। चूंकि ग्रेटर नोएडा के गांव चिटहेरा में दलितों के पट्टे खरीदे जाने थे तो भूमाफिया ने इन तीनों को गांव चिटहेरा का निवासी बता दिया और इनके नाम पर जमीन खरीदवा दी। यशपाल तोमर सामान्य जाति से है और नियमानुसार वह दलितों के पट्टे की जमीन नहीं खरीद सकता। इसलिए उसने एससी जाति से ताल्लुक रखने वाले अपने गांव के कर्मवीर, बैलू, कृष्णपाल के चिटहेरा निवासी होने के दस्तावेज बनाकर उन्हें जमीन खरीदवाई।
गिरीश वर्मा: इसके बारे में कहा जाता है कि यह यूपी के एक बड़े नौकरशाह का खासम खास है। जिस वक्त गांव चिटहैरा में यह जमीन घोटाला हुआ, उस वक्त यह आईएएस ऑफिसर यूपी का मुख्य सचिव था, ऐसा कहा जाता है।
लेखपाल बोले-जमीन देने में आनाकानी करने वालों पर कराए गए थे फर्जी मुकदमे
दादरी पुलिस स्टेशन पर 20 मई को हुई एफआईआए संख्या-0278 में लेखपाल शीतला प्रसाद ने लिखा है- यशपाल तोमर व अन्य सभी नामजद आरोपियों ने गांव चिटहेरा में एससी लोगों से पट्टे की भूमि जबरदस्ती खरीद ली। जिसने जमीन देने से मना किया, उसके खिलाफ दिल्ली के कश्मीरी गेट व गीता कॉलोनी पुलिस स्टेशन, पंजाब के जीआरपी भटिंडा, राजपुर व फाजिलका पुलिस स्टेशन, राजस्थान के पीलीबंगा, उत्तराखंड के कनखल और लक्ष्मण झूला थाने में फर्जी मुकदमे लिखवाए। यशपाल ने पहले तो चिटहेरा के किसानों से अपने चहेते दलित लोगों के नाम जमीन बिकवाई, फिर उन दलित लोगों से कंपनी को जमीन बिकवा दी।

राजस्व निरीक्षक ने कहा- 43 लोगों की जमीन अवैध खरीदने की पुष्टि
इसी पुलिस स्टेशन पर 22 मई को हुई संख्या-0280 में राजस्व निरीक्षक पंकज निर्वाल ने लिखा है- गांव चिटहेरा की भूमि प्रबंधक समिति ने 282 लोगों को कृषि भूमि पट्टे के आवंटन का प्रस्ताव तीन जुलाई 1997 को दिया। तत्कालीन स्ष्ठरू ने 20 अगस्त 1997 को इस प्रस्ताव को मंजूरी दी। 282 में से 117 आवंटियों की जमीन साल-2006 में डीएम के आदेश पर हस्तांतरित कर दी गई। बचे हुए में से 43 व्यक्तियों की जमीन भूमाफिया यशपाल तोमर व अन्य लोगों ने जबरन खरीद ली। दस्तावेजों से इस बात की पुष्टि हुई है।
क्या था चिटहेरा जमीन घोटाला?
उत्तर प्रदेश सरकार ने साल-1997 में ग्रेटर नोएडा के दादरी तहसील स्थित गांव चिटहेरा में 282 लोगों को जमीन के पट्टे दिए थे। ग्रेटर नोएडा के दिन बहुरने वाले थे और वहां की जमीन बेशकीमती होने वाली थी। बागपत जिले के भूमाफिया यशपाल तोमर को यह बात पता चल गई। उसने कुछ अफसरों संग मिलकर प्लान बनाया। उन्हें पार्टनरशिप का झांसा दिया और पट्टों पर कब्जे करने शुरू कर दिए। जिस किसान ने विरोध किया, उसके खिलाफ कई राज्यों में फर्जी मुकदमे लिखवा दिए। मुकदमे से बचने के लिए किसान को अपनी जमीन मजबूरन यशपाल तोमर को बेचनी पड़ी। इस तरह अरबों रुपए की जमीन हथियाई गई।
30 जनवरी से उत्तराखंड जेल में बंद है यशपाल
यशपाल तोमर ने यूपी के अलावा उत्तराखंड में भी इसी तरह जमीन कब्जाई। हरिद्वार जिले के जवालापुर में 56 बीघा जमीन घोटाले में वहां की स्ञ्जस्न ने 30 जनवरी 2022 को यशपाल तोमर को गुरुग्राम से गिरफ्तार किया। खुद के बचाव के लिए यशपाल का नौकर मालू सरकारी गवाह बनने को तैयार हो गया। उसने उत्तराखंड की अदालत में जाकर यशपाल तोमर का चिट्टा खोल दिया। फिर एसटीएफ उत्तराखंड ने यशपाल तोमर की करतूतों की जांच करके उत्तराखंड सरकार को सौंपी। इसके बाद इस पर शिकंजा कसना शुरू हुआ और फिर यूपी सरकार ने भी संज्ञान लेकर धड़ाधड़ कार्रवाई शुरू की है। अभी पिछले दिनों ही मेरठ पुलिस ने चिटहेरा जाकर 135 बीघा जमीन कुर्क की है, जिस पर यशपाल तोमर का कब्जा था।