कु शीनगर। जिले के आवास विकास कालोनी के फेज तीन में शौचालय की टंकी की सफाई के दौरान दो सफाई कर्मियों की दम घुटने से मौत हो गई तो उनको देखने गया भवन स्वामी का चालक भी टंकी में गिर पड़ा और उसकी भी मौत हो गई। दोनों सफाई कर्मी सगे भाई थे। तीन घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद शवों को बाहर निकाला जा सका। सफाई कर्मी सुरक्षा कवच नहीं पहने हुए थे। घटना की सूचना पर पहुंचे एसपी व एसडीएम ने आवश्यक जानकारी ली और हादसे की जांच कराने की भी बात कही।
यहां बतादें कि पडरौना थाने के गांव शिवपुर बुजुर्ग के मूल निवासी भाजपा नेता व ठीकेदार दयाशंकर सिंह आवास विकास कालोनी में मकान बनाकर रहते हैं। शौचालय की टंकी साफ करने के लिए उन्होंने वैक्यूम सक्शन टैंकर (टंकी से शौच साफ करने वाली मशीन) के साथ सफाई कर्मी बुलाए थे। कुछ देर की सफाई के बाद बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के बासी डोकरी गांव के मूल निवासी सफाई कर्मी व सगे भाई रवि व छोटेलाल जो गायत्री नगर के डाक बंगला परिसर में रहते हैं, टंकी के अंदर उतरे तो काफी देर तक बाहर नहीं निकले। यह देख भवन स्वामी के गांव का ही उनका वाहन चालक टंकी में झांकने गया तो वह भी उसमें गिर पड़ा। यह देख पड़ोस में रहने वाले लोग शोर मचाए। भीड़ जुट गई।
नपा अध्यक्ष विनय जायसवाल व कोतवाली प्रभारी निर्भय कुमार सिंह पहुंचे। टंकी से उनको निकालने का कार्य शुरू हुआ। कुछ देर बाद एसपी धवल जायसवाल व एसडीएम महात्मा सिंह भी पहुंचे और घटना के संबंध में जानकारी ली।
लापरवाही ने ली जान: कहने को तो प्रशासन व नपा की ओर से सफाई कर्मियों के लिए गम बूट, हैंड ग्लब्स, रस्सी, मास्क आदि पूरा सुरक्षा कवच दिया जाता है, लेकिन सच्चाई क्या है, यह नगर के पास इलाके में हुई इस घटना ने खोल कर रख दिया है। सुरक्षा कवच तो छोडि़ए टंकी से निकाले गए सफाई कर्मियों के शरीर पर ठीक से वस्त्र तक नहीं थे। नियम यह कहता है कि किट मतलब सुरक्षा कवच पहनने के बाद ही सफाई कर्मियों से सफाई कार्य लिया जाए। निजी कार्य के दौरान, कार्य लेने वाली निजी संस्था को यह किट देना होता है, लेकिन ऐसा होता नहीं है। जिले में अब तक इस प्रकार कर चार घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन न तो प्रशासन जागा और न ही इनसे कार्य लेने वाली संस्थाएं व फर्म ही होश में आए।
नगर के आवास विकास कालोनी के फेज तीन में अचानक चीख-पुकार मची तो इसके बीच लापरवाही व अव्यवस्था की गूंज भी सुनाई दी। शौचालय की टंकी से एक एक कर तीन शव निकाले गए तो इसके साथ उन दावों पर सवाल उठते रहे कि कहां हैं, इनको दिए जाने वाले सेफ्टी किट के वे सामान जो इनका जीवन बचा सकते थे। हालांकि, जिम्मेदार अधिकारी भी पहुंचे थे, लेकिन उनके द्वारा भी इसको लेकर कोई सवाल नहीं किया गया। मौत पर मातम तो छाया, लेकिन सफाई कर्मियों की सुरक्षा को लेकर मरी हुई व्यवस्था पर कोई कार्रवाई होती नहीं दिखी।