गोरखपुर। गोरखपुर का विश्वनाथ मुंबई से आ रहा था। कानपुर से वह लापता हो गया था। आज पुलिस ने बताया कि उसकी कानपुर अस्पताल में 17 मई को मौत हो चुकी है। बेलीपार पुलिस ने लापता पति की तलाश कर रही महिला को यह कहकर लौटा दिया था कि तुम खुद तलाश कर लो। वही पुलिस सीएम योगी के फटकार के बाद महज 24 घंटे में ही यह पता कर लिया कि उसकी मौत 17 मई को ही कानपुर में हो चुकी है। दरअसल बेलीपार थाना क्षेत्र के बिस्टौली खुर्द निवासी कंता निषाद का 45 साल का बेटा विश्वनाथ 4 साल पहले पूर्व रोजी-रोटी की तलाश में गोरखपुर से मुंबई गया था। वहां वह फर्नीचर बनाने का काम करता था। गांव पर उसकी पत्नी चंदा और उसके दो बेटे 18 वर्षीय अमन साहनी, 15 वर्षीय विकास अपने दादा के साथ रहते है।
15 मई को विश्वनाथ ने अपनी पत्नी से घर आने के लिए ट्रेन पकडऩे की बात कही थी। रास्ते में कानपुर के पास सुल्तानपुर के रहने वाले अरविंद नामक युवक ने 17 मई को फोन कर पत्नी चंदा से बताया था कि विश्वनाथ की तबीयत खराब है और इन्हें कानपुर जीआरपी के पास उतार दे रहा है। अरविंद ने बोला कि तुम आकर ले जाना। चंदा ने पति से बात किया तो उसने चंदा को आने से मना कर दिया और कहा कि वह बस से आ जाएगा। उसके बाद से विश्वनाथ का मोबाइल स्विच ऑफ हो गया।
पत्नी चंदा पति की तलाश करने की गुहार लेकर बेलीपार पुलिस के बाद गई। पुलिस ने उसे बेरंग लौटा दिया और कहा कि तुम खुद ही तलाश कर लो। महिला उच्चाधिकारियों से भी संपर्क किया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। महिला खुद कानपुर जीआरपी गई लेकिन वहां भी उसका कुछ पता नहीं चला। वह वापस आ गई। इधर उसके घरवाले फेसबुक के माध्यम से फोटो डालकर तलाश करने लगे।
पति की तलाश कर थक चुकी पत्नी चंदा 20 जून 2022 को जनता दर्शन में गई। वहां उसने सीएम योगी से पति की तलाश करने की गुहार लगाई। मुख्यमंत्री के संज्ञान में आने के तुरंत बाद हरकत में आई बेलीपार पुलिस ने तत्काल जीआरपी कानपुर सेंट्रल से बात कर 17 मई को अज्ञात व्यक्तियों की जानकारी मांगी। इस दौरान कानपुर जीआरपी को चंदा के पति विश्वनाथ की अस्पताल में भर्ती होने के समय की फोटो मिली। जिसे उसने पहचान लिया। उसे बताया गया इलाज के दौरान मौत के बाद पोस्टमार्टम कराकर उसका लावारिस में दाह संस्कार कर दिया गया है। यह सूचना पाकर पत्नी चंदा तथा बच्चे बेसुध हो गए।
म?हिला और उसके घरवालों का कहना है कि उसने लापता होने के तत्काल बाद बेलीपार पुलिस से शिकायत किया था। अगर वह उस समय सक्रिय होकर तलाश की होती तो शायद उसके पति का पता चल जाता और उनका दाह संस्कार लावारिश में नहीं होता। उन्हें अपने पति के अंतिम दर्शन का मौका मिल जाता।