वाराणसी। शिक्षा नीति पर हो रहे समागम में पहुंचे पीएम मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा का मूल आधार शिक्षा को संकुचित दायरे से बाहर निकालना और 21वीं सदी के विचारों से जोडऩा है। हमारे देश में मेधा की कोई कमी नहीं रही है। दुर्भाग्य से ऐसी व्यवस्था बनाई गई थी, जिसमें पढ़ाई का मतलब केवल नौकरी ही माना गया था। गुलामी के समय अंग्रेजों ने ऐसी शिक्षा का विकास केवल अपने लिए एक सेवक बनाने के लिए किया था। आजादी के बाद थोड़ा बदलाव हुआ लेकिन ज्यादा रह गया। अंग्रेजों का बनाई व्यवस्था भारत की शिक्षा व्यवस्था नहीं थी। बनारस तो इसका जीवंत उदाहरण है। यहां ज्ञान और शिक्षा मल्टी आयामी थी। यही बहुआयामी व्यवस्था ही हमारी शिक्षा का केंद्र होना चाहिए। इससे पहले वाराणसी के लालबहादुर शास्त्री अंतर राष्ट्रीय एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दिल्ली से वायुसेना के विशेष विमान से अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी दौरे पर दोपहर 1.24 बजे एयरपोर्ट पर पहुंचे। पीएम का राज्यपाल आनंदीबेन पटेल व मुख्य मंत्री योगी आदित्य ने स्वागत व अभिनंदन किया। सबसे पहले अक्षय पात्र फाउंडेशन कम्युनिटी भोजन रसोईया का उद्घाटन किया। वहां से शिक्षा नीति पर आयोजित समागम में पहुंचे।
युवा कुशल और आत्मविश्वासी हों, नई शिक्षा नीति इसकी जमीन तैयार कर रही
पीएम मोदी ने कहा कि हम केवल डिग्री धारक युवा तैयार न करें, बल्कि देश को आगे बढऩे के लिए जितने भी मानव संसाधनों की ज़रूरत हो, हमारी शिक्षा व्यवस्था वो देश को दें। इस संकल्प का नेतृत्व हमारे शिक्षकों और शिक्षण संस्थानों को करना है। हमारे युवा कुशल हों, आत्मविश्वासी हों, व्यावहारिक और गणनात्मक हो, शिक्षा नीति इसके लिए जमीन तैयार कर रही है।
पीएम मोदी ने कहा कि अभी अक्षय पात्र योजना का शुभारंभ करके आ रहा हूं। वहां सरकारी स्कूल के बच्चों के साथ गप गोष्ठी करने का अवसर मिला। मैं बच्चों से सुनकर आया हूं और आपको सुनाने आया हूं। मुझे कहना होगा, जिस स्कूल के बच्चों से मेरा मिलना हुआ है, अगली बार उनके टीचर से मिलना चाहूंगा। आप कल्पना कर सकते हैं कि ऐसी बात क्यों मन में आई। बच्चों में जो कान्फिडेंस और टैलेंट मैंने देखा, वह भी एक सरकारी स्कूल के सामान्य परिवार के बच्चों की। जो टैलेंट बच्चे वहां प्रस्तुत कर रहे थे। अगर आपके यहां भी कोई बच्चा वैसा होगा तो आप मेहमान के सामने उसे ही खड़ा कर देंगे।