गोरखपुर। मोहर्रम की दसवीं पर इमामबाड़ा इस्टेट का शाही जुलूस रवायती अंदाज में अमन व भाइचारे का परचम लेकर गमगीन माहौल में निकला। जुलूस की अगुवाई कर रहे इस्टेट के सज्जादानशीं अदनान फर्रुख शाह मियां साहब के साहबजादे सैय्यद अयान अली शाह की एक झलक पाने को लोग बेताब दिखे। मातमी धुन जुलूस में शामिल लोगों को भावुक कर रही थी। जैसे-जैसे जुलूस आगे बढ़ता गया लोगों की भीड़ भी बढ़ती गई।
जुलूस सुबह दस बजे इमामबाड़ा इस्टेट के पश्चिमी गेट से निकला जहां मियां साहब ने कमाल शहीद की मजार पर साथियों के साथ फातिहा पढ़ा। जुलूस बक्शीपुर, अलीनगर होते हुए आगे बढ़ा। रवायत के मुताबिक मियां साहब सफेद वस्?त्र पहनकर सबके बीच चल रहे थे। उनके अगल-बगल सफेद और आसमानी पोशाक में निजी अंगरक्षक और उनके अपने बावर्दी सिपाही चल रहे थे। सडक़ के दोनों तरफ छत पर खड़े लोग जुलूस पर फूल बरसाकर उसका इस्तकबाल कर रहे थे। शाही परचम और घोड़े भी जुलूस की खासियत का अहसास करा रहे थे। जुलूस बेनीगंज, जाफरा बाजार होते हुए करबला पहुंचा जहां सैय्यद अयान अली शाह ने फातिहा पढ़ा और खिराज-ए-अकीदत पेश की। चूंकि उनके जुलूस के आगे-आगे भगवती चौक का जुलूस चल रहा था, इसलिए उस जुलूस के आगे बढऩे तक मियां साहब ने कर्बला में ही विश्राम किया। आधे घंटे के विश्राम के बाद जुलूस फिर चला और घासी कटरा, मिर्जापुर, नखास होते हुए दक्षिणी फाटक से इमामबाड़ा इस्टेट में दाखिल हुआ। वहां सैय्यद अयान अली शाह ने पूर्वजों के लिए फातिहा पढ़ा और उसके बाद जुलूस के सम्पन्न होने का एलान किया।