धरना देकर बुलंद की आवाज
गोरखपुर।9 अगस्त क्रांति दिवस के अवसर पर भोजपुरी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए तमाम साहित्यकारों ने टाउन हॉल गांधी प्रतिमा के पास धरना दिया। प्रगतिशील भोजपुरी समाज संस्था (पीएसएस) के बैनर तले सम्पन्न इस धरने का साहित्यकार नंदलाल मणि त्रिपाठी ने अध्यक्षता की। अपने संबोधन में पीएसएस के प्रदेश अध्यक्ष प्रवीण देव ने कहा कि सरकार, भोजपुरी भाषा को संवैधानिक मान्यता न देकर 25 करोड़ भोजपुरी भाषा बोलने वालों का अपमान कर रही है। वरिष्ठ कवि चंदेश्वर परवाना ने कहा कि भोजपुरी की रोटी खाने वाले कई सांसद आज तक भोजपुरी की आवाज संसद में नहीं उठा पाएं, यह बहुत दुखद है। प्रगतिशील भोजपुरी समाज के महासचिव व कार्यक्रम संयोजक डॉ. जनार्दन सिंह ने कहा कि 9 अगस्त को क्रांति दिवस के तौर पर मनाया जाता है। अब तक भोजपुरी भाषा को संवैधानिक मान्यता न मिलने पर हम लोगों ने अपनी मातृभाषा के सम्मान व स्वाभिमान के लिए आज से आंदोलन की घोषणा किए हैं। भोजपुरी के लिए अब सडक़ से संसद तक आंदोलन चलेगा। धरना के दौरान जर्नादन सिंह ने कहा कि सरकार लोकसभा में अविलंब बिल पारित कर भोजपुरी को संवैधानिक मान्यता दें। प्रगतिशील भोजपुरी समाज के जिला सचिव कृपाचार्य ने भोजपुरी की पढ़ाई के लिए प्राथमिक से लेकर विश्वविद्यालय तक अलग से पाठ्यक्रम की मांग की। रामनिवास ने कहा कि हर हाल में भोजपुरी राज्य का गठन होना चाहिए। सुरेश कुशवाहा ने कहा कि भोजपुरी भाषा को संवैधानिक मान्यता मिलने से भोजपुरी का सम्मान बढ़ेगा। धरना में अरूप श्रीवास्तव ( विश्व शांति मिशन के संयोजक) ने कहा कि समाज में अश्लील साहित्य विज्ञापन पर रोक लगाया जाना चाहिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे नंदलाल मणि त्रिपाठी ने कहा कि भोजपुरी भाषा से सबसे ज्यादा सांसद व विधायक होने के बाद भी भोजपुरी भाषा को अब तक संवैधानिक मान्यता नहीं मिली है। कहा जा सकता है कि एक बहुत बड़े समाज का अनादर हो रहा है। कार्यक्रम में अताउल्लाह शाही, मकबूल अहमद मंसूरी, सुरेश कुशवाहा, अरुण कुमार, यशवंत सिंह यादव , रामनिवास रणजीत, शोभित निषाद, बुध नारायण, कल्याणी देवी, जगदीश, रामचंद्र, कृपाल, राजेंद्र प्रसाद, जयदेव, आधाराम, अर्चना चौरसिया , कृपाशंकर, रत्नेश कुमार, निरहू, चंद्रेश्वर परवाना, अनीता देवी सहित कई लोग मौजूद रहे।